Friday 20 April 2018

खिलौना

कमरा छोटा है... डार्क ऑरेंज रंग के पर्दे हवा की वजह से नाच रहे, थोड़ी रोशनी आ रही है  उनके खिड़की से हटने पर। फर्नीचर जो कि यूँ तो नॉन एक्सिस्टन्ट हैं,  धीरे-धीरे फ़ोकस में आ रहे हैं। एक स्लेटी रंग का स्टूल है जिसपे एक लैंप रखा है। उस लैंप से पीलिया फैल रहा है इस कोने से उस कोने तक।

कमरे के बीच में एक लकड़ी की कांफ्रेंस टेबल है जिसपे एक खिलौना रखा है, प्लास्टीक का, चटक हरे रंग का है। टेबल के इर्द-गिर्द छः कुर्सियाँ हैं, गद्दे वाली। एक किताब है, उसपे चाँद बना है, उससे गुलाब की खुशबू निकल कर टेबल के हर इक डेड सेल को ज़िंदा करने की जद्दोजहद कर रही है।

एक काले शर्ट वाला आदमी पहली कुर्सी पर आ कर बैठ गया है। परेशान है। उँगलियों के बीच सस्ती सी सिग्रेट है। उसके मुँह से बदबू आ रही परसों पीये हुए शराब की। शायद उसने अब तक वही शर्ट पहनी है जिसपे दो घुट गिर गए थे,जब उसके हाँथों से बोतल गिर कर टूटने वाली थी। उसके जीन्स पर मिट्टी की परत है। वो सड़क पर लेट गया होगा पर सामने से कोई गाड़ी आई नहीं होगी। कोई टेम्पो वाला उसे कुचल कर गायब न हो सका। सैड!

खिलौनें में चाभी है, घुमाने पर वक़्त बताती है। आदमी चाभी घुमाता है। खिलौना कहता है "द टाईम इज़ फॉरटी फाइव हॉर्स थ्री सेकण्ड्स।" आदमी सिरियस हो जाता है। पाँच जनें धरल्ले से कमरे में घुसते हैं। उनके चेहरे पे अजीब से दाग हैं, एकदम घिनौने से, वे कभी सुंदर नहीं कहलाएँ होंगे, उनकी कुरूपता को मद्देनज़र रखते हुए उनके हुलिये की बात नहीं होगी। वो सब बैठ जाते हैं।

वो सारे उस आदमी को समाज के नियम याद करवा रहे हैं। एक-एक वो दोहरा रहा। उसके हाँथों में निशान है। शायद जल गए थे जब वो दुनियाँ में आग लगा रहा था अपनी स्याही उड़ेलकर। पर फिर एक दिन एक लड़की आ गयी। और उसके झुमके में टंगी घुंगरू, जिसमें बर्बादी रहती थी, उसके ज़िन्दगी में गिर गई। तबसे उसके हाँथ जल जाते है। वो उस लड़की को भूलना चाहता है। पर वो लड़की है सबसे बेहूदी किस्म की। वो तमाम प्रपंच करने पे बहुत याद आती है। और नहीं करने पर वो ख़ुदको उसकी गोद में पाता है। वो साक्षात चुड़ैल ही है समझो; पर उसकी हँसी बहुत प्यारी है, तो बस वो उससे प्यार करता है।

वो अब ज़ोन आउट कर रहा है। उसके सामने बैठे मनहूस लोग उससे कह रहे हैं उनकी बातें सुनने को। वो सुन रहा है। पर ध्यान नहीं दे रहा। (ही चकल्स।) वो फिर चाभी घुमाता है। घड़ी के अनुसार चार साल बीत गए हैं। अब वो उस क्लॉस्ट्रोफिबक गड्ढे से बाहर निकल रहा है। उसे भूख लगी है। समाज की सुन सब समझने के बाद वो निर्णय ले चुका है अपने आने वाले सुनहरे भविष्य का।  वो सीधा उस लड़की के घर जाएगा। उसकी हाँथों की रेखाओं को कहेगा कि उसके लिए कोई नाइ बर्बादी पकाएँ। तब तक वो बिठाएगा उसे अपने सामने और घंटों तक रोता रहेगा बिना आँसुओं के। फिर पीयेगा ज़हर उस लड़की की लकीरों के कहने पर। और फिर ज़िंदा हो जाएगा।

कमरे में फैली हुई पीली लाईट को लैंप वापस सोख रही है। पर्दा ख़ुदको अलाइन कर रहा। खिलौने की चाभी घुमती है  रिवर्स में अपने आप और लड़की जग जाती है। चादर को छू कर देखती है, गीली है। उसने पंखा नहीं चलाया होगा। वो ख़ुद को कहती है कि "जो देखा था बस नाइटमेयर था।" हालाँकि बिस्तर के नीचे कुछ जॉइंट्स पड़े है पर उसने तो हैल्युसिनेट किया ही नहीं कभी। वो आदमी उसके बगल में सो रहा है।कितना प्यारा लग रहा है। वो उससे प्यार करती है। पर वो उसे मार देगी एक दिन। वो आदमी तभी खुश रह सकेगा।

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