Saturday 12 March 2016

लौट यहीं फिर आना तुम

उन क़िस्सों से जब थक जाओगे
लौट इस दर पर आना तुम|
बातें करनी सीख ली होंगी
तो दिल का हाल सुनाना तुम|


क्या-क्या खोया क्या है पाया
सब मुझको बतलाना तुम|
गर इश्क़ किया था सच्चा हमसे
तो फिर से छोड़ ना जाना तुम|


बीते बिसरी बातों को बस
लबों पर ना ले आना तुम|
ख्वाबों मे गुम हो जाने का
वो तरीका मत अपनाना तुम|

  
आँखों मे आँखें डाले
शिकवे सारे बिसराना तुम
अल्हड़ सूरज भी छुप जाए जो
तो दिल मे चाँद जलाना  तुम|

जो सीखा होगा इन सालों मे, 
वो बात पते की बतलाना तुम|
यादों की उन फुलझरियों से,
दिल की चिंगारी जलाना तुम| 


इन क़िस्सों से जब थक जाओगे
लौट इस दर पर आना तुम|
बातें करनी सीख ली होंगी
तो दिल का हाल सुनाना तुम|