And then the metal clenched around my wrist, in a
way it never did before. I looked around, taken aback by such a weird way in
which the bracelet has responded. it was the last thing you gave to me, I still
remember how you stood there at the doorway looking at me half asleep, half
awake, trying to get done with the awful day i was having. you whispered my
name, I know it was barely audible, but you know right, the heart hears what it
wants to, and so turned around, just to find you gawking at me, a sheepish grin
spread across your face. the way it always used to I took a step towards you
but by then you had almost leaped at me, pulling me in you embrace in one swift
motion. I don't remember how long we remained like that, lost in each other's
embrace, waiting for the latter to pull away, but yes, this much I do remember
that by the time we pulled apart, you had already put the bracelet around my
left wrist. and now when I look around to catch a glimpse of yours, perhaps
standing in the doorway, though I know odds are against me and the possibility
is next to none, I still smile foolishly.
:)
Popular Posts
-
हम जो लिखना चाहते हैं, वो ये नही है। वो न तो कोई कहानी है न प्रसंग है। अगर कुछ है तो बस व्यथा है उस आदमी की जो एक अँधरे कमरे में फँस गया ...
-
Hopped up on my 12:43 Metro Train, in the tunnel just before my station, I see a caged bulb placed on its wall. The cracks around it,...
-
छः पचपन की ट्रेन पकड़ कर मैं सोम से शुक्र आता हूँ। फिर नौ बजे दफ़्तर पहुँच उस बेंच पर बैठ जाता हूँ| बगल मे मेरे बैठी रहती काली सी एक...
-
कमरा छोटा है... डार्क ऑरेंज रंग के पर्दे हवा की वजह से नाच रहे, थोड़ी रोशनी आ रही है उनके खिड़की से हटने पर। फर्नीचर जो कि यूँ तो नॉन एक्सिस...
-
हमारी फ़्रेंडलिस्ट में आपको देश के ऑलमोस्ट हर कोने के रिप्रेजेंटेटिव मिल जाएँगे। फिर चाहे वो लेह हो या फिर सिक्किम। साउथ के भी हैं, और कश्म...
-
देखिये पुराणों से जुड़ी है ये घटना, शिव पुराण तो मैंने पढ़ा नहीं, न ही कभी शिव कथा को पूरी तरीके से पढ़ा या सुना है पर आज अचानक से फेसबुक व...
-
'स्याही है, काली, श्याम वर्ण।' कागज़ है, सफ़ेद, धारियाँ हैं जिसपर। 'अब क्या?' कुछ लिखना है? 'क्यों?' अंदर दो-चार ...
-
जब भी लिखा, रात की पढ़ाई के कोटे को आधा या पूरा का पूरा करके लिखा। 2 बज गए, सुबह 5 बजे उठकर तैयार होकर 6 बजे तक कॉलेज के लिए निकल जाना था, ...
-
मैने कॉफी की मग नीचे रख, तुमसे सवाल किया ही था की जिस काम के लिए गये थे वो हुआ या नही, की तुम यूँ ही उठ के दरवाज़े से निकल गये| मुझे लगा क...
-
सुनो, सन्नाटे में एक आवाज़ गूँज रही है, बहुत कोशिश की मैंने कि मैं समझ सकूँ की ये आवाज़ किसकी है और क्या कहना चाह रही है। पर थक चुकी हूँ, स...
Wednesday 19 October 2016
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Weekly
-
हम जो लिखना चाहते हैं, वो ये नही है। वो न तो कोई कहानी है न प्रसंग है। अगर कुछ है तो बस व्यथा है उस आदमी की जो एक अँधरे कमरे में फँस गया ...
-
Hopped up on my 12:43 Metro Train, in the tunnel just before my station, I see a caged bulb placed on its wall. The cracks around it,...
-
छः पचपन की ट्रेन पकड़ कर मैं सोम से शुक्र आता हूँ। फिर नौ बजे दफ़्तर पहुँच उस बेंच पर बैठ जाता हूँ| बगल मे मेरे बैठी रहती काली सी एक...
-
कमरा छोटा है... डार्क ऑरेंज रंग के पर्दे हवा की वजह से नाच रहे, थोड़ी रोशनी आ रही है उनके खिड़की से हटने पर। फर्नीचर जो कि यूँ तो नॉन एक्सिस...
-
हमारी फ़्रेंडलिस्ट में आपको देश के ऑलमोस्ट हर कोने के रिप्रेजेंटेटिव मिल जाएँगे। फिर चाहे वो लेह हो या फिर सिक्किम। साउथ के भी हैं, और कश्म...
-
देखिये पुराणों से जुड़ी है ये घटना, शिव पुराण तो मैंने पढ़ा नहीं, न ही कभी शिव कथा को पूरी तरीके से पढ़ा या सुना है पर आज अचानक से फेसबुक व...
-
'स्याही है, काली, श्याम वर्ण।' कागज़ है, सफ़ेद, धारियाँ हैं जिसपर। 'अब क्या?' कुछ लिखना है? 'क्यों?' अंदर दो-चार ...
-
जब भी लिखा, रात की पढ़ाई के कोटे को आधा या पूरा का पूरा करके लिखा। 2 बज गए, सुबह 5 बजे उठकर तैयार होकर 6 बजे तक कॉलेज के लिए निकल जाना था, ...
-
मैने कॉफी की मग नीचे रख, तुमसे सवाल किया ही था की जिस काम के लिए गये थे वो हुआ या नही, की तुम यूँ ही उठ के दरवाज़े से निकल गये| मुझे लगा क...
-
सुनो, सन्नाटे में एक आवाज़ गूँज रही है, बहुत कोशिश की मैंने कि मैं समझ सकूँ की ये आवाज़ किसकी है और क्या कहना चाह रही है। पर थक चुकी हूँ, स...
0 Comment to "And then..."
Post a Comment